हज़ारों बातें तो सुनी है मेरी
अब खामोशियों को समझो तो जाने
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने
हर ख़ुशी और ग़म में साथ दिया मेरा
अब दिल की बेरुखी का सबब समझो तो जाने
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने
ख्वाईशों की बारिशें तो देखी हैं बहुत
इन मुश्किलों की धूप को छानो तो जाने
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने
एहसासों को पँख तो दे दिए हैं तुमने
अब उड़ानों का आस्मां ढूँढो तो जाने
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने
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