3 Apr 2012

अनकही दास्ताँ

हज़ारों बातें तो सुनी है मेरी 
अब खामोशियों को समझो तो जाने 
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो 
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने 

हर ख़ुशी और ग़म में साथ दिया मेरा 
अब दिल की बेरुखी का सबब समझो तो जाने 
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो 
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने 

ख्वाईशों की बारिशें तो देखी हैं बहुत
इन मुश्किलों की धूप को छानो तो जाने  
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो 
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने 

एहसासों को पँख तो दे दिए हैं तुमने 
अब उड़ानों का आस्मां ढूँढो तो जाने 
दिल से आँखों के सफ़र में खो गई जो 
वो अनकही दास्ताँ पहचानो तो जाने 

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