22 Mar 2012

ज़रा देखो तो सही

ज़रा देखो तो सही मजबूरियों के बोझ तले कुचले हुए सपनों को 
हर पल व्यस्तता के चक्रव्यूह में खोये वादों  को ,
सब किया जिनके लिए, सब चाहा जिनके लिए 
ज़रा देखो तो सही  एक बार उन दूरियों में खोते अपनों को 
माना ख्वाइशों की मंज़िल अभी दूर है, माना चलने को तुम मजबूर हो  
पर दो पल ज़रा थमो तो सही, उन खोये हुए लम्हों की ख़ातिरज़रा देखो तो सही इस जल्दबाजी के साये में खोई खुशियों को


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