ज़रा देखो तो सही मजबूरियों के बोझ तले कुचले हुए सपनों को
हर पल व्यस्तता के चक्रव्यूह में खोये वादों को ,
सब किया जिनके लिए, सब चाहा जिनके लिए
ज़रा देखो तो सही एक बार उन दूरियों में खोते अपनों को
माना ख्वाइशों की मंज़िल अभी दूर है, माना चलने को तुम मजबूर हो
पर दो पल ज़रा थमो तो सही, उन खोये हुए लम्हों की ख़ातिरज़रा देखो तो सही इस जल्दबाजी के साये में खोई खुशियों को
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