ये रिश्ता
कभी दूरियों की बर्फीली आँधियों में जला है ये
कभी नजदीकियों की तपिश में ठिठुरा है ये
क़यामत तक का तो नहीं अंदाज़ा हमें
पर आज की सच्चाई है ये रिश्ता
गुज़रे हुए उस पल की परछाई है ये रिश्ता
जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई
कभी सपनो की वादियों में खेला है ये
कभी हकीकत की फिजाओं में उछला है ये
उस बदली हुई हवा का रुख था शायद
उन दबी हुई मर्ज़ियों से उपजा है ये रिश्ता
उन अनकही अर्ज़ियों से पनपा है ये रिश्ता
जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई
ख़ुशी का कहे या बरबादियों का कोई इसको ,
सही और गलत के तराज़ू के पार है ये रिश्ता,
जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई
सच तो ये है की उन खोई हुई खुशियों का अवाम है ये रिश्ता
मेरे दिल की हर चाहत की पहचान है ये रिश्ता
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