7 Feb 2012

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है



हज़ार सपनो को संजोये हुए, हज़ार ख्वाइशों को पिरोये हुए

शर्माती सी दिल में उतर जाती है.

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है.



दिन की थकी हुई परछाइयों को पीछे छोड़,अपनों के अनजाने अरमानों की सेज सजाये 

घबराती हुई साँसों में बस जाती है

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है



कुछ टूटी हुई उम्मीदों को सिरा देने, कुछ नए ख्वाबों को उड़ान देने 

हौले से दिन के आगोश में उतर जाती है



चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है





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