17 Feb 2012

ये रिश्ता


ये रिश्ता 

जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई 
कभी दूरियों की बर्फीली आँधियों में जला है ये 
कभी नजदीकियों की तपिश में ठिठुरा है ये 
क़यामत तक का तो नहीं अंदाज़ा हमें 
पर आज की सच्चाई है ये रिश्ता 
गुज़रे हुए उस पल की परछाई है  ये रिश्ता 
जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई 

कभी सपनो की वादियों में खेला है ये 
कभी हकीकत की फिजाओं में उछला है ये  
उस बदली हुई हवा का रुख था शायद 
उन दबी हुई मर्ज़ियों से उपजा है ये रिश्ता 
उन अनकही अर्ज़ियों से पनपा है ये रिश्ता 
जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई 

ख़ुशी का कहे या बरबादियों का कोई इसको ,
सही और गलत के तराज़ू के पार है ये रिश्ता,
जाने इस रिश्ते को क्या नाम देगा कोई 
सच तो ये है की उन खोई हुई खुशियों का अवाम है ये रिश्ता
मेरे दिल की हर चाहत की पहचान है ये रिश्ता 

13 Feb 2012

How will it feel


Before I start, a clarification:- This isn't a Valentine fever poem. This poem is a fruit of boredom of past few daz....(It is selected frm a list of many)
The coincidence of it with 13th/14th Feb is beacuae of this misarranged trip...  :P


I wonder how will it feel

Sitting under the stars, I wonder how will it feel,
To resurrect all those dreams into real.
To melt in your arms,
To lose myself completely in your charms.

How will it feel, to love you at the end of every day,
To hear all night, all that you have to say,
To let you hear my mindless chatter,
To wake up in your arms, in a sleepy langour.

How will it feel, to express my love without any barrier,
To sleep, with you, sifting through my hair,
To scale with you, the snow capped mountain,
To dance with you, to the music of rain.

I know without doubt that future without you is already sealed,
But still, sitting beneath these stars, I wonder how will it feel.

7 Feb 2012

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है



हज़ार सपनो को संजोये हुए, हज़ार ख्वाइशों को पिरोये हुए

शर्माती सी दिल में उतर जाती है.

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है.



दिन की थकी हुई परछाइयों को पीछे छोड़,अपनों के अनजाने अरमानों की सेज सजाये 

घबराती हुई साँसों में बस जाती है

चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है



कुछ टूटी हुई उम्मीदों को सिरा देने, कुछ नए ख्वाबों को उड़ान देने 

हौले से दिन के आगोश में उतर जाती है



चुपके चुपके दबे पाँव ये रात आती है





4 Feb 2012

I won't be an Interlude


I won't be an Interlude

You have been my happiness, my companion and my friend
But now in your absence, my heart sometimes repent.
I know, without you, the happiness may now sometime elude
But still, I won't be an Interlude.

Along with you, I rediscovered the fun of journey through life
But now, every memory slice my heart with knife.
I know, without you, the hope will be little subdued
But still, I won't be an Interlude.

In all those moments, you were there to listen and share
But, your departure has brought in a feeling of the despair.
I know, without you, I will have to suffer some solitude
But still, I won't be an Interlude. 



2 Feb 2012

In the memory of all those hours we spent in "cloud gazing" at one time or other :)



ऐ बादल इतना तो बतलाना,

आखिर तेरा कहाँ ठिकाना 

कभी लगे पर्वतों को नापता है तू ,

कभी लगे सागर में है तुझे समाना 

ऐ बादल इतना तो बतलाना , 

है हर पल रूप बदलता क्यूँ 


कभी गाड़ी, कभी जानवर, कभी इन्सान सा लगता तू क्यों 


कभी हमें भी इस बदलाव का सबब तो समझाना 


ऐ बादल इतना तो बतलाना