कुछ सवाल
कुछ सवाल हैं जो मन में उफान मचाते हैं,
सोचते हैं अब बता दें आपको.
क्या मालूम इन सवालों से कुछ आराम मिल जाए.
क्या मालूम इन वीरानियों को अंजाम मिल जाए.
जब मोहब्बत के आगोश में खोये थे हम,
तब आपके दिल में भी वही जज़्बात खिल रहे थे ना?
मेरी आँखों के अनगिनत ख्वाबों में जब समाये थे आप,
तब आपके ख्यालों में भी वही बात चल रही थी ना?
चाहे सब ना कहा हो हमने इक दूजे से,
पर कुछ सच तो था ना?
कुछ पल का था या ज़िन्दगी भर का,
पर रिश्ता था तो सही ना?
आने वाले कल का रुख तो नहीं जानते हम,
बस इतना बता दो बीते हुए कल में दो कुछ था तो सही ना?
No comments:
Post a Comment